Vedaa Film Review : एक्शन और इमोशन से भरपूर है जॉन अब्राहम-शारवरी की फिल्म ‘वेदा’, जात-पात और ऊंच- नीच से कराती हैं रूबरू

Vedaa Film Review : एक्शन और इमोशन से भरपूर है जॉन अब्राहम-शारवरी की फिल्म ‘वेदा’, जात-पात और ऊंच- नीच से कराती हैं रूबरू, नमस्कार दोस्तों, बॉलीवुड एक्टर जॉन अब्राहम-शारवरी वाघ स्टारर फिल्म ‘Vedaa’ आज यानी 15 अगस्त को सिनेमा घरों में रिलीज़ हो गई हैं। अच्छी शुरुआत के बाद कई बार क्रिकेट के गेम में खिलाड़ी जल्दी आउट हो जाता है। काफी उम्मीदें जगाने के बाद भी कोई चीज निराश कर जाती है, कुछ ऐसा ही हुआ वेदा के साथ।

‘Vedaa’ फिल्म की कहानी

दोस्तों यह कहानी है ऊंच नीच की, जात पात की, जो कई जगह सालों से चला रहा है। राजस्थान के बाड़मेर की ये कहानी है जहां 150 गांवों का प्रधान वहां का कानून तय करता है। वहां एक नीची जात के लड़के को ऊंची जात की लड़की से प्यार हो जाता है और फिर शुरू होता है एक खूनी खेल। वेदा नीची जाति की लड़की है, बॉक्सर बनना चाहती है, आर्मी से निकाले गए अभिमन्यू यानि जॉन उसकी मदद करते हैं लेकिन फिर वेदा के भाई की मोहब्बत उसके परिवार पर भारी पड़ जाती है। और फिर क्या होता है, ये आप थिएटर ने चले जाइएगा अगर पूरा रिव्यू पढ़ने के बाद आपको ठीक लगे तो।

दोस्तों ये शरवरी की फिल्म है, वही सेंट्रल कैरेक्टर में हैं। फिल्म की शुरुआत अच्छी होती है, जात पात के लेकर भेदभाव के कुछ ऐसे सीन आते हैं जो आपको चौंकाते हैं। आपको लगता है कि सिर्फ एक एक्शन फिल्म नहीं है। इसमें और भी कुछ है, फर्स्ट हाफ काफी अच्छा लगता है, उम्मीद जगाता है, लेकिन फिर सेकेेंड हाफ में वही होता है जो हम कई हजार फिल्मों में देख चुके हैं। ऊंची जाति के लोगों से जॉन बस शरवरी को बचाते हैं, और थिएटर में बैठे हम पछताते हैं। फिल्म में एक्शन का डोज थोड़ा कम करके इमोशन और बढ़ाया जाता है। अगर कहानी पर थोड़ा और फोकस किया जाता तो यह फिल्म और बेहतर फिल्म बन सकती थी।

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फिल्म के कलाकारों की एक्टिंग

दोस्तों शरवरी फिल्म की जान हैं, उन्होंने कमाल का काम किया है। चाहे बोली पकड़ना हो या फिर उनकी बॉडी लैंग्वेज हो, वो शानदार लगी हैं। वो एक के बाद एक कमाल का काम कर रही हैं, सेकेंड हाफ में जो वो बाल कटवाती हैं तो उन्हें देखने के लिए ही आप सेकेंड हाफ देखते हैं। उनका काम बताता है कि आने वाले वक्त में वो हिंदी सिनेमा पर राज करेंगी। जॉन अब्राहम का काम अच्छा है, वो किरदार में सूट किए हैं, वो कम बोलते हैं और इस बार को जस्टिफाई भी किया गया है।

एक्शन में जॉन वैसे भी कमाल करते हैं, अभिषेक बनर्जी का काम शानदार है, विलेन के किरादर में अभिषेक ने जान डाल दी है, वो वैसे भी कमाल के एक्टर हैं। स्क्रीन पर आते हैं तो बवाल काट देते हैं। आशीष विद्यार्थी ने एक बार फिर शानदार एक्टिंग की है। क्षितिज चौहान का काम भी अच्छा है। अभिषेक के छोटे भाई के रोल में उन्होंने इम्प्रेस किया है। तमन्ना भाटिया का कैमियो भी अच्छा है। कुुमुद मिश्रा छोटे से रोल में भी याद रह जाते हैं।

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